ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति, शिक्षा के इस क्रन्तिकारी दौर में भी संतोष जनक नहीं है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि जहाँ सारी दुनियाँ शिक्षा के क्षेत्र में आकाश की बुलंदियों को छू रहा है, वहीं हमारे देश भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति अभी भी चिंता जनक है।
यहाँ पढ़ें ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा में क्रन्तिकारी बदलाव। हालांकि सरकार अपने देश को पूर्ण रूप से शिक्षित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है जो सराहनीये है। इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका परिणाम अभी भी अपर्याप्त है। आईए इस के महत्व, समस्या, समाधान और प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा करें।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व
हमारा देश कृषि प्रधान देश है और ग्रामीण क्षेत्र अधिकतर कृषि पर निर्भर है। यदि ग्रामीण क्षेत्र के लोग शिक्षित होंगे तो कृषि की नई तकनीक का प्रयोग कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना पाएंगे। न केवल कृषि के क्षेत्र में बल्कि हर क्षेत्र में अपने देश की सेवा कर पाएंगे।
यदि ग्रामीण क्षेत्र के लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टर बनते हैं तो अपने इलाक़े में हॉस्पिटल खोल कर समाज एवं देश की सेवा कर पाएंगे। जिस से उनकी अर्थव्यवस्था भी अच्छी हो पायेगी। इस से समाज और देश का विकास होगा।
लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने ही क्षेत्र जहाँ विद्यालय की कमी है निजी विद्यालय की स्थापना कर समाज की सेवा कर सकते हैं। इस से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति अच्छी हो पायेगी और लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों की राजनीती में शिक्षा का महत्व
ग्रामीण क्षेत्रों की राजनीती में भी शिक्षा का बड़ा महत्व है। यदि मुखिया, वार्ड सदस्य और समिति शिक्षित होंगे तो सरकार से मिलने वाली योजनों का सही उपयोग कर पाएंगे, और जनता उसका सही लाभ उठा पायेगी। योजनाओं का सही लाभ उठाते हुए अपने क्षत्रों का पूर्ण विकास कर पाएंगे।
यदि सरपंच और उनके सहयोगी पंच शिक्षित होंगे तो अपने अधिकार क्षेत्रों में क़ानूनी व्यवस्था सुदृढ़ कर लोगों की सामाजिक समस्याओं का समाधान आसानी से कर पाएंगे। जिस से लोगों के आपसी लड़ाई-झगड़ों और अन्य समस्याओं का समाधान आसानी से हो पायेगा।
पंचायती राज के पदाधिकारी शिक्षित होंगे तो शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने में सरकार द्वारा चलाई गयी योजनाओं का सही उपयोग कर पाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के मार्ग में समस्या
1. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक तर बच्चों के माता-पिता शिक्षित नहीं हैं जिस कारण उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुणवत्ता पूर्ण नहीं हो पाती है। प्रारंभिक शिक्षा गुणवत्तापूर्ण न होने के कारण ज़्यादा तर बच्चे उच्च शिक्षा भी गुणवत्तापूर्ण प्राप्त नहीं कर पाते हैं। माता-पिता का शिक्षित न हो पाना भी शिक्षा के मार्ग में एक बड़ी समस्या है।
2. शिक्षित वातावरण न होना भी एक बड़ी समस्या है। ज़्यादातर गाँव जो शहरों से दूर स्थित हैं वहां आज भी शिक्षित वातावरण का आभाव है। मैं ने अपने क्षेत्र सीतामढ़ी के ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे किया आज भी बहुत से ऐसे गाँव हैं जहाँ शिक्षा के प्रति लोग पूरी तरह जागरूक नहीं हैं। ख़ास कर मुस्लिम समुदाय में शिक्षा की बहुत कमी है।
3. सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की स्थिति सुदृढ़ न होना भी एक समस्या है। हालाँकि सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ हुआ है। लेकिन अभी भी सरकारी स्कूलों में उस तरह की पढ़ाई नहीं हो पाती जैसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए होनी चाहिए।
समाधान
1. अब हर एक गाँव में कोचिंग की व्यवस्था है जहाँ स्कूल के बाद अपने बच्चों को भेज कर उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलवाई जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोचिंग की फ़ीस भी मात्र 100 से 200 रू० प्रति माह होती है।
2. जब बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करेंगे तो स्वतः शिक्षित वातावरण उत्तपन हो जाएगा। शिक्षित वातावरण बनाने में शिक्षक गण बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
3. जहाँ तक मेरी सोंच है कि सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का दूरगामी परिणाम बहुत ही अच्छा होगा। सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ देखने को मिल रहा है। निजी विद्यालय भी शिक्षा की स्थिति सुदृढ़ बनाने में अच्छी भूमिका निभा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित थी। यहाँ कृषि पारंपरिक विधि से होती आ रही थी। जिस में श्रम को प्रधानता दी जाती थी। स्त्री और पुरुष दिनों सहभागी होते थे। श्रम प्रधान जीवनशैली होने के कारण यहाँ के लोग शिक्षा को अधिक महत्व नहीं देते थे। जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है।
सन 1986 ई0 में नई शिक्षा निति बनने के बाद सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान पर विशेष ज़ोर दिया। और कई अभियान चलाया। जिसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा और लोगों ने शिक्षा के महत्व को स्वीकार करना प्रारम्भ कर दिया।
शहरों में पलायन के बाद शिक्षा का प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति दैनिये होने के कारण लोगों को अपनी रोज़ी-रोटी के लिए गाँव छोड़ कर शहरों की और पलायन करना पड़ा। शहर के शिक्षित माहौल को देख कर गाँव से आये लोगों पर शिक्षा का बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा।
शिक्षित लोगों की जीवन शैली और शिक्षा के लाभ को देखने और समझने के बाद लोगों ने महसूस किया कि शिक्षा मनुष्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। उसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों ने अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया।
शहर से शिक्षा का प्रभाव ले कर आने के बाद जब लोगों ने अपने बच्चों को शिक्षा दिलवाना शुरू किया तो उनलोगों की जीवन शैली बदलनी शुरू हुई। जिसको देख कर वे लोग प्रभावित हुए जो शहर नहीं गए और उन लोगों ने भी अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना शुरू किया।
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