शिक्षा पर भाषण: स्कूलों में या कहीं प्रोग्राम में बच्चों को भाषण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस क्रिया से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। ज़्यादा तर बच्चे कहीं मंच पर या ज़्यादा लोगों की भीड़ में ठीक से बोल भी नहीं पाते हैं।
इस डर और झिझक को ख़त्म करने के लिए स्कूलों में अक्सर सांस्कृतिक कार्य क्रम के द्वारा बच्चों को प्रोत्साहित किया जाता है। उनको उनके शिक्षक तैयार करते हैं। और बार-बार प्रयास करने से बच्चों के मन से भय समाप्त हो जाता है।अंग्रेज़ी में शिक्षा पर भाषण के लिए speech on education in English पर क्लिक करें।
इस प्रकार के कार्य क्रम में भाग लेने वाले बच्चे कहीं भी कितनी भी भीड़ में या बड़े से बड़ा मंच पर बोलने में सक्षम होते हैं। यहाँ बच्चों के लिए शिक्षा पर भाषण उपलब्ध है जिसे बच्चे समझ कर या याद कर के कहीं भी भाषण देने में सक्षम होंगे।
1.शिक्षा पर भाषण (500 शब्द)
आदरणीय शिक्षक गण एवं सभापति महोदय, प्रिये अभिभावक गण, दूर-दूर से आए अतिथि गण और बड़े प्यारे वर्ग साथी भाई-बहन सब को मेरा प्रणाम। मैं ग़ाज़ी ख़ान पिता- मो० शम्स आज़ाद ग्राम परसा का रहने वाला हूँ।
मैं ख़ुद को बहुत भाग्यशाली समझता हूँ। और इस बात पर गर्व है कि आज आप लोगों के सामने “मुराद मेमोरियल पब्लिक स्कूल” के प्रांगण में शिक्षा के ऊपर कुछ बोलने का अवसर प्राप्त हुआ।
शिक्षा की रौशनी जब इंसान नुमा आईने पर पड़ती है। तो उस आईने से प्रवर्तित किरणें समाज से अज्ञानता के अँधेरे को दूर करती है। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसकी मदद से इंसान अपनी ज़िंदगी को बदलता है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद मनुष्य खुद को पहचान पाता है। शिक्षित मनुष्य को न केवल परिवार, बल्कि समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्य का भली भांति ज्ञान होता है।
शिक्षा वह उपकरण है जो हमारे जीवन में सभी चुनौतियों पर खड़ा उतरने में हमारी सहायता करता है। यह हमें खुश और शांतिपूर्ण रखती है। और साथ ही साथ मनुष्यों को बेहतर सामाजिक जीवन जीने का तरीक़ा बताती है।
शिक्षा हमारे जीवन से अंधेरे को हटा कर, सभी भयों मिटा कर , सभी संदेहों को हटा देती है। और इस बड़ी दुनियाँ में एक सुंदर करियर खोजने में हमारी मदद करती है। शिक्षा हमारे जीवन को सजाती और संवारती है। यह मनुष्य का सम्पूर्ण विकास करती है।
आज मनुष्य चाँद पर पहुँच गया यह शिक्षा की ही देन है। पुराने ज़माने में लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए घोड़े पर, पैदल और बैल गाड़ी पर सवारी करते थे। जिसमें बहुत ज़्यादा समय लग जाता था।
लेकिन आज मोटर साईकिल, रेल, कार, हवाई जहाज़ आदि का प्रयोग करते हैं। जिस से हज़ारों मील की दूरी कम समय में तय कर लेते हैं। यदि लोग शिक्षा ग्रहण नहीं करते तो आज हम इन सारी सूविधाओं का आनंद नहीं उठा पाते।
शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही लोगों ने कंप्यूटर, मोबाईल, मशीन और नई-नई टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया है। जिस से हम अपनी ज़िन्दगी पहले के बनिस्बत आसानी से गुज़ार रहे हैं।
आज बड़ी-बड़ी बिमारियों का इलाज आसानी से किया जाता है। यह शिक्षा के कारण ही सम्भव हो पाया है। जिस प्रकार सम्पूर्ण आहार हमारे शरीर को मज़बूती प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षा हमें अंदर और बहार से मज़बूत और सुन्दर बनाता है।
कहा जाता है की शिक्षित व्यक्ति कभी भूखा नहीं मर सकता। शिक्षित व्यक्ति का भविष्य सुरक्षित होता है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद मनुष्य अपने परिवार के लिए आसानी से जीविकार्जन कर लेता है।
शिक्षित मनुष्य ही डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट आदि बनता है, और बड़े-बड़े पद पर काम करता है। किसी भी बड़ी फैक्ट्री या कंपनियों में बड़े पद पर शिक्षित व्यक्ति को ही रखा जाता है।
शिक्षा प्राप्त करना हमारा मौलिक अधिकार है। हमें हर हाल में शिक्षा प्राप्त करना चाहिए। इसी के साथ मैं अपनी बातें यहीं समाप्त करता हूँ।
जय हिन्द, जय भारत, जय जवान, जय किसान, आज़ाद रहे हिन्दुस्तान।
2.शिक्षा पर भाषण (400 शब्द)
आदरणीय गुरुवर, प्यारे अभिभावक गण, दूर दूर से आए अतिथि देव और मेरे प्यारे सहपाठी भाई बहन। आज आप लोगों के समक्ष शिक्षा पर भाषण देने का अवसर पा कर बड़ा फ़ख़्र महसूस कर रहा हूँ।
आपलोगों के सामने शिक्षा का महत्व और इसकी ख़ूबियाँ ब्यान करने जा रहा हूँ। अगर बात अच्छी लगे तो मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तालियाँ बजा दिया करें। शिक्षा मानव जीवन के लिए अतिआवश्यक ही नहीं अनिवार्य है।
शिक्षा के बिना मनुष्य अधूरा होता है। बड़े बुज़ुर्गों ने कहा है कि अशिक्षित मनुष्य पशु के सामान होता है। यह भी कहा जाता है कि जाहिल दोस्त से पढ़ा लिखा दुशमन अच्छा होता है।
जिस प्रकार साफ़ पानी हमारे शरीर की गन्दगी को साफ़ कर देता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षा हमारे जीवन से गन्दगी, बुराई और अन्धकार को दूर कर देती है। और हमारे जीवन में प्रकाश, अच्छाई और ख़ुशियाँ लाती है।
यह हमें अपने से बड़ों की इज़्ज़त करना और छोटों से प्यार करना सिखलाती है। अपने माता-पिता की क़दर करना सिखलाती है और ईश्वर की पहचान करवाती है। एक नए अंदाज़ से दुनियाँ को समझने की सलाहियत पैदा करती है।
शिक्षित व्यक्ति परिवार, समाज एवं देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान निभाता है। शिक्षा मनुष्य को जीवन जीने की उच्चतम शैली प्रदान करती है। यह हमारे अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण कर आत्मबोध का ज्ञान करवाती है।
शिक्षित व्यक्ति के बच्चे अवश्य ही शिक्षा प्राप्त करते हैं। किसी महात्मा ने कहा है कि पानी में मछली अपने बच्चों को तैरना नहीं सिखलाती। वो खुद बखुद तैरना सीख जाते हैं। ठीक उसी प्रकार शिक्षित व्यक्ति को अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए केवल दिशा निर्देश देनी पड़ती है। वे सवयं ही पढ़ना लिखना सीख जाते हैं।
शिक्षा प्राप्त करने के बहुत सारे फ़ायदे हैं। शिक्षा प्राप्त व्यक्ति हीन भावना का शिकार नहीं होता। जीवन के प्रति उन्हें नया नजरिया हासिल होता है। शिष्टता और सभ्यता को आत्मसात कर सकते हैं। पशु और मनुष्य के बीच अंतर दृष्टिगोचर होने लगता है। अज्ञान के आवरण से मुक्त हो जाता है।
शिक्षा मनुष्य को साधारण से असाधारण बनाती है। इसलिए सब को शिक्षा प्राप्त करने की कशिश करनी चाहिए। इतना कहते हुए मैं अपने शिक्षा पर भाषण को यहीं विराम देता हूँ।
जय हिन्द, जय भारत, जय जवान, जय किसान, आज़ाद जाहे हिन्दुस्तान। मुराद मेमोरियल पब्लिक स्कूल ज़िन्दाबाद।
3.शिक्षा पर भाषण (400 शब्द)
आदरणीय गुरुवर, प्यारे अभिभावक गण, दूर दूर से आए अतिथि देव और मेरे प्यारे सहपाठी भाई बहन। आज आप लोगों के समक्ष शिक्षा पर भाषण देने का अवसर पा कर बड़ा फ़ख़्र महसूस कर रहा हूँ।
शिक्षा एक ऐसा चमकता सूरज है जो अपनी रौशनी मनुष्य नामक चन्द्रमा पर डालती है। और उस चन्द्रमा से ज्ञान नामक प्रवर्तित किरण पुरे विश्व से अंधकार को दूर करके प्रकाशित करती है। यह मनुष्य के अंदर विराजमान एक ऐसा सुगन्धित फूल है जो न केवल परिवार यद्धपि समाज, देश और पुरे विश्व को सुगन्धित करता रहता है।
शिक्षा का महान उद्देश्य मनुष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण कर जन्मजात शक्तियों का विकास करना है। मनुष्य के अंदर बहुत सारी शक्तियाँ विराजमान करती हैं जिसका ज्ञान मनुष्य को खुद नहीं होता।
शिक्षा मनुष्य के अंदर के बुरी शक्तियों का सर्वनाश करती है। और अच्छी शक्तियों का विकास कर अपनी, समाज, देश और दुनियाँ की साहयता करने में मदद करती है। यह शारीरिक, मान्सिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करती है। आज सारा संसार शिक्षा नामक वाहन की सवारी कर पुरे ब्रह्माण्ड को विकसित करने में लगा हुआ है।
दैनिक जीवन में भी शिक्षा का बड़ा महत्व है। एक शिक्षिक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन को बहुत अच्छे ढंग से व्यतित करता है। अपने परिवार के अतिरिक्त समाज को बेहतर बनाने में योगदान करता है।
अशिक्षित व्यक्ति के बनिस्बत शिक्षित व्यक्ति अच्छे ढंग से अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत कर समाज और देश की सेवा करता है। शिक्षित व्यक्ति समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्य को ज़्यादा बेहतर समझता है। और अपने कर्तव्य का पालन करता है।
एक शिक्षित व्यक्ति न केवल अपने परिवार को बल्कि पुरे समाज को शिक्षित कर सकता है। अशिक्षित व्यक्ति को बहुत साड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि अशिक्षित व्यक्ति किसी बैंक में अपने काम से जाये तो किसी शिक्षित व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती है। जबकि शिक्षित व्यक्ति अपना काम बिना किसी की सहायत लिए खुद से कर लेता है।
शिक्षित व्यक्ति को अनजान जगह जाने के लिए किसी की मदद की ज़रुरत नहीं पड़ती। जगह जगह बोर्ड लगे होते हैं जिस पर लिखा पढ़ कर आसानी से जहाँ जाना हो चले जाते हैं। परन्तु अशिक्षित व्यक्ति को किसी शिक्षित व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती है।
आज सारी दुनियाँ में खेल को बहुत महत्व दिया जाता है। खेल जगत में भी लोग अपना भविष्य सुरक्षित करते हैं। लेकिन खेल में भी अपना भविष्य बनाने के लिए मनुष्य को शिक्षित होना आवश्यक है। अशिक्षित मनुष्य खेल में भी अपना भविष्य नहीं बना पते हैं। जितने भी बड़े-बड़े खिलाड़ी हैं सब के सब शिक्षित हैं।
इस प्रकार शिक्षा मानव जीवन के लिए अनिवार्य है। अतः हमें हर हाल में शिक्षा प्राप्त करना चाहिए। इसी के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द, जय भारत, जय जवान, जय किसान, आज़ाद जाहे हिन्दुस्तान। मुराद मेमोरियल पब्लिक स्कूल ज़िन्दाबाद।
4.शिक्षा पर भाषण (311 शब्द)
आदरणीय गुरुवर, दूर- दूर से आए अभिभावक एवं अतिथि गण, मेरे प्यारे साथी, भाई बहन, और सभापति महोदय नमस्कार। आज की इस पुण्य तिथि पर कुछ बोलने का अवसर पाकर बहुत फ़ख्र महसूस कर रहा हूँ।
आज मैं शिक्षा के प्रति अपना विचार आप लोगों के सामने रखना हूँ। शिक्षा मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तंत्र है। यह व्यक्ति के साथ-साथ देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
शिक्षा मानव के जीवन में अनेक परिवर्तन लाता है। इसको प्राप्त करने के बाद मानव अपने समाज में एक कुशल नागरिक बन जाता है। हमलोगों को बड़े से बड़े स्तर पर इसे फैलते चाहिए।
जैसे कि हमारे देश के अनेक महापुरुषों ने किया। उनलोगों ने अपने समाज और देश को शिक्षित करने के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया। सरसैयद अहमद ने शिक्षा की गुणवत्ता को समझा और इसके विस्तार के लिए “अलिगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी” की स्थापना की।
जिस से लोग लाभान्वित हुए और हमेशा होते रहेंगे। इसी प्रकार हमारे देश में बहुत सी मिसालें हैं। उनमे एक समाज सुधारक महिला रणबाई रानडे ने भी शिक्षा की गुणवत्ता को समझा। उन्हें ज्ञात हुआ शिक्षा प्राप्त मानव अपने कर्त्तव्यों और अधिकारों को समझने लायक़ हो जाता है।
उन्हों ने शिक्षा की दैनिये स्थिति को देखते हुए “पूना सदन” नामक विद्यालय की स्थापना की। रणबाई रानडे ख़ास कर ग़रीब एवं अनाथ बच्चों को शिक्षित करने में सराहनीये कार्य किया है।
हमें शिक्षा के महत्व उसकी गुणवत्ता को समाज के हर एक व्यक्ति को बताना चाहिए। अगर हम ऐसा कर पाएं तो समाज एक नई शक्ति के साथ उन्नति करेगा। शिक्षा की ताक़त सबसे बड़ी ताक़त मानी जाती है।
सभी शिक्षा प्रेमियों से मेरा आग्रह है कि हम सभी अपने-अपने स्तर पर शिक्षा को ज़्यादा से ज़्यादा विस्तृत करने के लिए निरंतर कोशिश करते रहें। धन्यवाद :
जय हिन्द, जय भारत, जय जवान, जय किसान, आज़ाद जाहे हिन्दुस्तान। मुराद मेमोरियल पब्लिक स्कूल ज़िन्दाबाद।
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