“लड़कियों की शिक्षा का महत्व”, आइए इसके बारे में विस्तार से जानें। यह हमारी बदक़िस्मती है। कि कुछ लोग सोचते हैं लड़की के लिए शिक्षा ज़रूरी नहीं है। यह पूरी तरह से एक ग़लत विचार है। लड़के और लड़कियों को पति और पत्नी के रूप में देखें । पत्नी और पति एक गाड़ी के दो पहियों की तरह हैं। यदि गाड़ी का एक पहिया कमज़ोर हो तो गाड़ी आसानी से नहीं चल सकती है। एक शिक्षित लड़की अपने पूरे परिवार। को शिक्षित कर सकती है।
भारतीय समाज या पूरी दुनियाँ के सुधार के लिए। लड़कियों को अच्छी तरह से शिक्षित होना चाहिए। अब भारत और भारतीय समाज के विकास के लिए। कुछ दिनों से लड़कियों की सेवा बेहतर है। विकास के हर क्षेत्र में, महिला शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। अब हम लड़कियों की शिक्षा का महत्व। इसकी समस्या और इसके समाधान। का विस्तार से अध्ययन करते हैं। यहाँ पढ़ें ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति।

परिवार के लिए लड़कियों की शिक्षा का महत्व
अगर हम एक लड़की को शिक्षित करते हैं। इसका अर्थ है कि हम एक परिवार and पूरे देश को शिक्षित करते हैं। यह सुनिश्चित है कि एक शिक्षित लड़की। के बच्चे अवश्य शिक्षा प्राप्त करेंगे। एक शिक्षित महिला अपने परिवार की। देखभाल अच्छी तरह से कर सकती है। वह बीमारी से अपने परिवार। और अपने आप को बचा सकती है। वे लड़कियाँ जो उच्च शिक्षा प्राप्त करती हैं एच-आई-वी और एड्स के संपर्क में बहुत कम आती हैं।
एक शिक्षित लड़की अपने जीवन साथी की आय में बढ़ोतरी कर उसका बोझ कम कर सकती है।अपने जीवन साथी की मृत्यु के बाद भी खुद जीविका अर्जन कर अपने परिवार को अच्छे से चला सकती है। हर व्यक्ति एक अच्छी और शिक्षित पत्नी एवं माँ चाहता है। लड़कियों की शिक्षा घरों को खुशहाल बनाती है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को लड़कियों की शिक्षा का महत्व समझना चाहिए।
सोसाइटी के विकास के लिए लड़कियों की शिक्षा का महत्व
देश और समाज के सुधार के लिए लड़कियाँ आज विकास के सभी क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। वे अपनी अच्छी शिक्षा की मदद से डॉक्टर, शिक्षिका, लेखिका, and. इंजीनियर आदि के रूप में एवं विकास के अन्य बहुत से क्षेत्रों में अपने देश की सेवा कर रही हैं। ये वो लड़कियाँ हैं जिनके अभिभावक ने लड़कियों की शिक्षा का महत्व समझा and. अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलवाया।
अच्छी तरह से शिक्षित लड़कियाँ एक खुशहाल समाज बनाने के लिए एक बेहतर भूमिका निभा रही हैं। वे समाज में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सेवा कर रही हैं। ख़ास तौर पर, ग्रामीण इलाके में वे ग़रीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

लड़कियों की शिक्षा के मार्ग में बाधाएँ
परिवार के नकारात्मक विचार (पारिवारिक समस्याएँ)
कुछ परिवारों में लड़कियों की शिक्षा के बारे में कई नकारात्मक विचार हैं। ज़्यादातर, गाँवों में लोगों की सोंच है कि महिलाओं को अपने पति की सेवा करने and. पीढ़ी में वृद्धि करने के लिए बनाया गया है। यह भी कि लड़कियाँ परायी धन हैं. उनको उच्च शिक्षा दे कर कोई लाभ नहीं आखिर दूसरों के घर ही जाएगी। लड़कों and. लड़कियों के बीच अंतर भी एक कारक है। घर से बहार लड़कियों की सुरक्षा भी लड़कियों की शिक्षा के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है।
समाज के नकारात्मक विचार (सामाजिक समस्याएँ)
लड़कियों को अपनी शिक्षा की यात्रा पर कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनकी गरिमा हानि का डर बना रहता है। असामाजिक तत्वों की संकीर्ण मानसिकता ने बलात्कार जैसी संस्कृति बनाई हुई है। यह लड़कियों की शिक्षा के रास्ते पर एक विशाल मील का पत्थर है। विपरीत लिंग के साथ बुरा रिश्ता। बाल विवाह भी एक सामाजिक समस्या है। आम तौर पर गाँवों में। लड़कियों का विवाह कम उम्र में ही कर दिया जाता है। उसके बाद उनकी शैक्षिक यात्रा बंद हो जाती है।
ग़रीबी
भारत में अभी भी इतनी ग़रीबी है। की लोग अपनी and अपने परिवार की ज़रूरतों को ठीक से पूरा नहीं कर पाते हैं। ग़रीबी भी शिक्षा के मार्ग में एक बड़ी बाधा है।
लड़कियों के स्कुल की कमी
ख़ास कर ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल की बहुत कमी है। यदि कुछ स्कूल हैं भी तो बहुत दूर-दूर पर स्थित हैं। दो स्कूलों के बीच की दूरी १० कि० मी० (10 Km.) से भी अधिक है। जहाँ स्कूल है वहॉँ नज़दीक की लड़कियाँ तो जा पाती हैं। लेकिन दूर की लड़कियाँ नहीं जा पाती। लड़कियों की शिक्षा के मार्ग में यह एक बड़ी समस्या है।
शिक्षिका की कमी
संयुक्त स्कूलों में जहां लड़के and. लड़कियां दोनों शिक्षा के रास्ते पर अग्रसर हैं। पर्याप्त मात्रा में शिक्षिका नहीं हैं। आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में यह कमी ज़्यादा पाई जाती है। गर्ल्स स्कूलों में भी शिक्षिकाओं की कमी है। यह भी लड़कियों की शिक्षा के मार्ग में एक बड़ी बाधा है।
लड़कियों की शिक्षा के मार्ग में आने वाली बाधाओं का समाधान
पारिवारिक समस्याओं का समाधान
आम तौर पर, ग्रामीण इलाकों में शिक्षित व्यक्ति। समिति बना कर लड़कियों की शिक्षा में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं। वे उन परिवारों के प्रमुख से मिल कर उन्हें जागरुक कर सकते हैं। जो लड़कियों की शिक्षा के प्रति ग़लत विचार धारा रखते हैं। and लड़कियों की शिक्षा का महत्व नहीं जानते । जिनकी सोंच यह है कि लड़कियों को केवल अपने पति की सेवा करने and. बच्चों को जन्म देने के लिए बनाया गया है।
एक शिक्षित व्यक्ति उन्हें मनाने में सक्षम हो सकता है। कि, लड़कियों को केवल अपने पति की सेवा करने and. बच्चों को जन्म देने के लिए ही नहीं बनाया गया है। एक शिक्षित लड़की अपने देश, समाज and. परिवार के लिए बेहतरीन भूमिका निभा सकती है। वह अपने बच्चों को एक सज्जन के रूप में तैयार कर सकती है। देश का एक बेहतरीन सेवक एवं अच्छा नागरिक बना सकती है।
सामाजिक समस्याओं का समाधान
शिक्षा ऐसा शक्तिशाली हथियार है। जिसका उपयोग मानव जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है। समाज के शिक्षित व्यक्ति प्रतिबद्धता ले सकते हैं। और लड़कियों की शिक्षा की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
उन्हें समाज के विकास के लिए सामाजिक कार्यकर्ता। के रूप में महत्वपूर्ण योगदान देने की आवश्यकता है। ज्यादातर, ग्रामीण इलाक़ों में उन लोगों को जागरुक करना होगा जो लड़कियों की शिक्षा का महत्व नहीं समझते। उनके दिमाग़ में यह बिठाना होगा कि लड़कियाँ शिक्षित होंगी तो न केवल हमारा देश, समाज और परिवार ही अच्छा होगा बल्कि सारा विश्व अच्छा होगा।
देश के सभी नागरिक को यह समझना होगा कि लड़के और लड़कियाँ गाड़ी के दो पहियों की तरह हैं, यदि गाड़ी का एक पहिया कमज़ोर हो तो गाड़ी ठीक ढंग से नहीं चल सकती है। ठीक उसी प्रकार यदि लड़कियाँ अगर शिक्षित न हों तो परिवार प्रगतिशील नहीं हो सकता है। अतः लड़कों के साथ-साथ लड़कियों का शिक्षित होना भी ज़रूरी है। आज प्रत्येक व्यक्ति एक शिक्षित पत्नी और माँ चाहता है, तो उनको लड़कियों की शिक्षा का महत्व समझना होगा।
यदि बात असामाजिक तत्त्वों की करें तो केवल शिक्षा ही असामाजिक तत्त्वों के सोचने का तरीका बदल सकती है। लड़कियाँ अब अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक हो गई हैं। अब बहुत हद तक लड़कियाँ घर से बहार भी सुरक्षित हैं। भारत सरकार हमारे देश में लड़कियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
शिक्षा की मार्ग में ग़रीबी से आने वाली समस्याओं का समाधान
अब ग़रीब परिवार भी अपनी बेटियों को स्कूल भेज सकते हैं। सरकार लड़कियों को बढ़ावा देने के लिए पोशाक राशी, छात्रवृत्ति, साईकिल और दोपहर का भोजन प्रदान कर रही है। न केवल सरकार बल्कि निजी स्कूल भी लड़कियों को शिक्षित करने के लिए अच्छी भूमिका निभा रहे हैं।
बड़ी ख़ुशी की बात है कि “मुराद मेमोरियल पब्लिक स्कूल परसा बाजार ” जिला – सीतामढ़ी, बिहार अपने क्षेत्र के सभी लड़कियों को शिक्षित करने के लिए एक अच्छी भूमिका निभा रहा है। अधिकतर लड़कियों को इस स्कूल में नर्सरी से आठवीं तक मुफ्त शिक्षा मिल रही है। प्रबंधन समिति और शिक्षक गण समाज के सुधार के लिए लड़कियों को शिक्षित करने में सराहनीये प्रयास कर रहे हैं।
बाल विवाह समस्या का समाधान
यह स्थिति समाज के लिए चिंताजनक है। इस दुष्ट संस्कृति को दूर करने के लिए सभी प्रकार के प्रयास किए जाने की जरूरत है। बाल विवाह के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी बच्चों को अपने मानवाधिकारों की जानकारी देनी चाहिए। यदि कहीं बाल विवाह जैसी घटना हो रही है तो इसका विरोध करना चाहिए और तुरंत ही पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए।
और यह सुनिश्चित हो कि बाल विवाह होने से पहले रोका जाना चाहिए। यदि कोई बाल विवाह संबंधित दोषी व्यक्ति हो तो उसको कानून के सामने लाया जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए। इस प्रथा को रोकने के लिए सब से अच्छा तरीका है की लोगों को बाल विवाह के नुक्सान की जानकारी दी जाये और उन्हें जागरूक किया जाए। अगर हम ज़मीन पर उपर्युक्त व्यवस्था करने में सफल होते हैं। तब वह दिन दूर नहीं है जब हमारा समाज बाल विवाह की बुराई से मुक्त होगा। और लड़कियों की शिक्षा का महत्व को समझ पायेगा।
लड़कियों के स्कूल और शिक्षिका की कमी का समाधान
लड़कियों के स्कूलों के समाधान के लिए सरकार को हर गांव में एक अलग लड़कियों का स्कूल स्थापित करना चाहिए। यह लड़कियों की शिक्षा की समस्या का एक बेहतर समाधान होगा।
अगर हर व्यक्ति को लड़कियों की शिक्षा का महत्व की जानकारी दी जाये और प्रत्येक व्यक्ति अपनी लड़कियों को शिक्षित करता है। फिर महिला शिक्षक की कमी स्वतः हल हो जाएगी।
Great sir yahi asliyat hai hamre samaj ki
yes, yahi to samaj ke sab logon ko samajhna hai or girls education ko badhawa dena hai
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